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Wednesday 13 August 2014

Paath - 7

ठेले पर हिमालय 
 
मौखिक प्रश्न - उत्तर 
 
 
प्र   १  लेखक कौसानी क्यों गए थे?
 
उ    १  लेखक हिमालय की बर्फ की घाटी को निकट से देखने के लिए कौसानी गए थे। 
 
प्र    २  कौसानी कहाँ बसा हुआ है ?
 
उ    २  कौसानी सोमेश्वर की घाटी के उत्तर स्थिति में बसा हुआ है।  यहां प्रकृति का सुकुमार रूप, हर - भरे खेतों, नदियों तथा वनों के रूप में बिखरा पड़ा है। 
 
प्र   ३  खानसामे ने सबको खुशकिसम्मत क्यों कहा ?
 
उ   ३  खानसामे ने सबको खुशकिस्मत कहा क्योंकि पिछले दो हफ़्तों से हिम - शिखर दिखाई नहीं दे रहा था।  परन्तु लेखक के वहां पहुचने के दिन ही उसके दिखने के आसार हो रहे थे। 
 
 
प्र    ४ लेखक ने बैजनाथ पहुंचकर हिम्मलय से किस रुप में भेंट की ?
 

उ    ४  बैजनाथ पहुंचकर लेखक ने गोमती की उज्जवल जलराशि में हिमालय की बर्फीली चोटियों की छाया तैरती देखी। 
 
दीर्घउत्तरीय प्रश्न 
 
 
प्र   १   कोसी से कौसानी के बीच लेखक को किन दृश्यों ने आकर्षित किया ?
 
उ   १   कोसी से कौसानी के रास्ते में लेखक ने सुडौल  पत्थरों पर कल - कल करती हुई कोसी , किनारे के छोटे - छोटे सुन्दर गाँव तथा हरे - भरे मखमली खेत देखे. रस्ते में कहीं - कहीं पहाड़ी, डाकखाने, चाय की दुकानें, नदी - नालों पर बने पल तथा चीड़ के जंगल भी देखे . 
 
प्र   २   लेखक को ऐसा क्यों लगा कि  वे दूसरे ई लोक में चले आए हैं ?
 
उ   २   जब लेखक कौसानी क बस अड्डे पर उतरे , तो वहां का सौंदर्य देखकर आश्चर्यचकित रह गए।  पचासों मिल चौड़ी घाटी, हरे - भरे मखमली खेत , सुन्दर गेरू की शिलाओं को काटकर बनाए गए लाल रास्ते, उनके किनारे सफ़ेद - सफ़ेद पत्थरों की कतार तथा आपस में उलझी बेलों की लड़ियों के सामान नदियां देखकर लेखक इतना आनंदित वे किसी और ही लोक में  थे। 
 
प्र   ३  सबसे पहले बर्फ दिखाई देने का वर्णन लेखक ने कैसे किया है ?
 
उ   ३  लेखक ने धीरे - धीरे खिसकते हुए बादलों के बीच छोटे से बादल के टुकड़े जैसी, सफ़ेद, रुपहले तथा हलके नील रंग की मिश्रित अटल चीज़ देखी।  उनके मन में बिजली - सा यह विचार कौंधा कि  यहाँ  हिम - शिखर है।  बर्फ का यह रूप दृश्य केवल कुछ पल ही दिखाई दिया लेकिन लेखक प्रसन्नता से भर गया। 
 
प्र   ४  लेखक को ठेले पर हिमालय शीर्षक कैसे सुझा ?
 
उ   ४  लेखक शुक्ल जी, सेन तथा अपने अन्य मित्रों के साथ ब्बर्फ़ को निकट से दिखने के लिए कौसानी गए थे।  वहाँ  बर्फ के दृश्य ने लेखक को अपार हर्ष से भर दिया था।  इसलिए लेखक ने जब ठेले पर हिमालय देखा तो उसे ठेले पर हिमालय का शीर्षक मिला। 
 
प्र   ५   सूरज के डूबते ही सब गुमसुम क्यों हो गए ?
 
उ   ५   सूरज के डूबने पर धीरे - धीरे ग्लेशियरों में पिघला केसर बहने लगा।  घाटियां गहरी पीली हो गईं  . सूरज की किरणें  उस पर चमक रहीं थीं।  इसलिए उसका चित्र अच्छा था और अंधेरा  होने से तारे चमक रहे थे। पर सब ऐसे गुमसुम थे जैसे उन्हें कुछ मिल गया हो या जैसे अंदर ही अंदर उस चित्र की समेट  रहे थे। 

प्र    ६  लेखक ने यह क्यों कहा कि  -

      क  लगा जैसे ठगे गए हम लोग। 

      ख  कलाई में लपेट लूँ।  आँखों से लगा लूँ। 

उ   ६ क. कौसानी बस अड्डे पर उतरने पर जब लेखक को सबसे पहले छोटा - सा, उजड़ा हुआ - सा गाँव दिखाई दिया तथा बर्फ कहीं दिखाई न दी. तो लगा कि  वे ठगे गए हैं. वास्तव में उन लोगों ने जिस सुन्दर दृश्य की कल्पना की थी , वे चाहते थे की उन्हें कौसानी पहुँचते ही वही दृश्य देखने को मिले।

        ख. जब लेखक कौसानी के बस अड्डे पर उतरे तो वहां इधर - उधर से आकर आपस में उलझ जानेवाली बेलों की लड़ियों के सामान सुन्दर नदियों को देखकर इतना भावविभोर तथा हर्ष से भर उठे कि  उनके मन में आया कि  वह इन बेलों की लड़ियों को कलाई में बाँध ले और आँखों से लगा ले। 

जीवनमूल्यपरक प्रश्न - उत्तर 
 
 
प्र   .  १  यदि हिमालय न होता तो क्या - क्या न होता ?
 
उ      १  यदि हिमालय  न होता बहुत कुछ  न होता।  हिमालय से निकलने वाली नदियाँ न होती।  उत्तर दिशा में हमारे देश का कोई प्रहरी न होता।  हिमालय क्षेत्र में होनेवाले वनस्पतियाँ  न होती।  हमारे देश में पर्याप्त मात्रा में जल न होता।  हमारे देश का वायुमंडल इतना सुहाना न होता।  हमारा ऋतु - चक्र ऐसा न होता।  पर्वतारोहियों को विश्व की सबसे ऊँची चोटी पर पहुँचने  का गौरव हासिल करने का अवसर न मिला होता।  हमने  उन फलों का स्वाद लेना तो दूर, उनके नाम भी न सुने होते, जो केवल हिमालय क्षेत्र में मिलतें हैं।  हिममानव कहीं और विचरण करते। पाँचों पांडव किस रास्ते से स्वर्ग की ओर  जाते? भगवान शिव शंकर कहाँ  धूनी रमाते?
 
सबकी दोस्त ,
लक्ष्मी  :-))
 

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