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Thursday 29 January 2015

Hindi - Grammar Bit!

Page - 127

व्याकरण

अपराध  -  crime

पाप  - sin

अपराध जाने या अनजाने में हो सकता है।  उसका दंड निश्चित है, किन्तु पश्चाताप और दंड के भुगतने से ख़त्म हो जाता है किन्तु , पाप किसी की नज़र में आए या ना आए वह पश्चाताप करने या दंड भुगतने पर भी नहीं मिटता।

हत्या करना अपराध है पर किसी को बहुत दुःख देना पाप है। 

अमूल्य - priceless

बहुमूल्य - expensive

जीवन अमूल्य है वरन हीरा बहुमूल्य  है।

आज्ञा - order  given  by  a  loved  one  or  a respectable person .

आदेश - order  which is compulsory to follow .

गुरु या बड़ों की आज्ञा , सरकारी आदेश

राजा - king

सम्राट - emperor

अकबर भारत के सम्राट थे उनके राज्य के अधीन कई राजाओं का राज्य था।

2.

हुक्म  -  आदेश

लाश -  शव

लफ्ज़  -  शब्द

शाही  -  राजसी

तबीयत   - स्वास्थ्य

हिफाज़त - सुरक्षा

नापाक - अपवित्र

हकीम  - सभी ठीक हैं

 

Lesson - 13 Exercises!

1.

क .   बद्रका नाम ग्रामे अभवत् .

ख .  श्री बैजनाथ :

ग .  चतुर्दश वर्षे

घ .  वेत्रप्रहारक:

ङ् .  स्वतन्त्रता आन्दोलनार्थं

2. 

क .  न्यायाधीश :   चन्द्रशेखरम्

ख .  चन्द्रशेखर:    न्यायधीशम्

ग .  न्यायाधीश:   चन्द्रशेखरम्

घ .  न्यायाधीश:   चन्द्रशेखरम्

ङ् .  चन्द्रशेखरम्   न्यायाधीशम्

3.














4.

(ii )  श्री बैजनाथ:

(iii )  कारागारे

(iv )  वेत्रप्रहारक:

(v )   एकाकी  शत्रव:

5.

क .  उन्नजवनपदे बदरका नामक ग्रामे

ख .  वाराणस्यां क्वीन्स्कालेज प्रसिद्धस्य संस्कृतमहाविद्यालये

ग .  भगत सिंह: , राजगुरु जयगोपाल: , राम्प्रसादबिस्मिल्:

घ .  चतुर्दश वर्षे

ङ् .  अन्तिमया गुलिकया आत्मानं हत्वा स्वकीयम् .

Rest in next.

 

Wednesday 28 January 2015

Lesson - 12 Exercises!

1.  पूर्ण्वाक्य् मे उत्तर दीजिए:

 क.    अनु उपसर्ग पूर्वक शासनं शब्देन
ख .    नियामानं पालनं नियन्त्रणं स्वीकरणम् वा
ग .    प्रात: शीघ्र जागरणं , नियमित व्यायामं , नियमेन स्वकार्यं करणम्, कार्य प्रति पूर्ण्समर्पणम् .
घ .   शाश्वता:, ध्रुवा :
ङ् .    छात्राणां .

2.   true  or  false :

सही , गलत , सही, गलत , सही , गलत .

3.  अनुशानास्य , प्रकृत्या : , नियन्त्रणं , उत्थानाय् , अनुसरणं , शाश्वता: .

4. 
क.  क्षेत्रे    -  प्रथमा / द्वितीया  द्विवचन
ख . प्रकृत्या :  षष्ठी , एकवचन
ग . ध्यानेन -  तृतीया , एकवचन
घ . जीवनस्य - षष्ठी , एकवचन
ङ् . जीवने - प्रथमा / द्वितीया , द्विवचन्, सप्तमी -
च . राष्ट्रस्य - षष्ठी , एकवचन

5.

क .   सन्ति - अस्ति
ख .   वर्तन्ते - वर्तते
ग .   कथ्यन्ते  - कथ्यते
घ .   दृश्यन्ते - दृश्यते
ङ् .   अपेक्षन्ते - अपेक्षते
च .  आयन्ति - आयति
छ .  पठन्ति - पठति

6.

क .    प्रकृत्या: नियमा: शाश्वता:, ध्रुवा: च सन्ति .
ख .   छात्राणां कृते अनुशानस्य बहुमत्वं अस्ति .
ग .   सर्वा: ऋतव: अनुशासनम् स्वीकृत्य क्रमश: आयन्ति .
घ .   सृष्ट्या: मूलेपि अनुशासनम् दृश्यते .
ङ् .   शरीरस्य आरोग्याय यथा संतुलित भोजनं अपेक्षते .

सबकी दोस्त ,
लक्ष्मी . :-)

DOWN WITH A FEVER! :-(

Dear all,

Its getting worse! I'll try to work during any active phase!

Lakshmi.

APOLOGIES!

Sorry! Got some fever! Don't know when I'll become OK! Till then BYE!

Everyone's friend,
Lakshmi! :-)

Tuesday 27 January 2015

great!

Watch "Once called "The World's Ugliest Woman" now works as a motivational spea..." on YouTube - Once called "The World's Ugliest Woman" now works as a motivational spea...: http://youtu.be/fkA1PzPMI04

homecoming!

Dear friends!

Finally! My darling computer is coming back! So, I can hope to upload the required lessons @ earliest!

Everyone's friend,
Lakshmi! :-)

Saturday 17 January 2015

Hindi FA - 4 vyaakaraN

ज्ञान प्राप्ति    -  ज्ञान की प्राप्ति

धर्म - चक्र     -  धर्म का चक्र

वनगमन      -    वन को गमन

गुणहीन  -  गुण  से हीन

पवनपुत्र  -  पवन का पुत्र

देशप्रेम -  देश से प्रेम


परलोक को गमन   -  परलोकगमन

गुरु के लिए व्यय  - गुरुव्यय

गंगा का जल  - गंगाजल

अकाल से पीड़ित  - अकालपीड़ित

ऋण  से मुक्त  - ऋणमुक्त

नगर में वास - नगरवास


फूल  -  कमल

हाथी  - हरित

घर  -  ग्रह

सिंह  -  शावक 

अश्व  -  सरपट

नेत्र  -  नयनतारा

xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx

व्याकरण  - बोध

क।     सज्जन मान जाते हैं।

ख      आप सपरिवार हमारे घ आइए।

ग      दूध स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।

घ      राम सीता को देखकर प्रसन्न हुए।

ङ       यदि वेतन मिले तो मैं  रुपए लौटा दूंगा।


आदर    -   सादर   ,   अनादर    निरादर

कर्म    -   कर्मठ   ,   दुष्कर्म  ,    निष्कर्म 

ज्ञान   -  विज्ञान  ,   ज्ञान ,  ज्ञानी

तंत्र  -  परतंत्र  ,  स्वतन्त्र  ,  तांत्रिक

Everyone's friend,

Lakshmi R. Srinivasan. :-)))

Exercises

1. 

(i)      जलमन्नंसुभाषितम्
(ii )    शुष्कवृक्षाश्च मूर्खाश्च
(iii )   व्यसनेन , निद्रा, कलहेन
(iv )   यस्य दानवती लक्ष्मी
(v )    फलन्ति वृक्षा:, गुणिनो जना :

2.

(i )    त्रीणि
(ii )   लोचनाभ्याम्
(iii )  गुणिनो
(iv )  धीमताम
(v )   शुष्कवृक्षाश्च , मूर्खश्च
(vi )  पाषाणखण्डेषु

3 . 

(i )     रत्नानि
(ii )    रत्नसंज्ञा
(iii )  प्रज्ञा
(iv )   वृक्षा:
(v )   धीमताम

४.

प्रज्ञा  - बुद्धि:
नेत्राभ्याविदुषाम्
मूर्खे :
विदुषाम्
मधुरा
धरायाम्

5 . 

मूढै :      -    सप्तमी     एकवचनम्

लोचनाभ्याम्  -   चतुर्थी      द्विवचनम्

विहीनस्य   -  षष्ठी       एकवचनम्

वृक्षा:   -  प्रथमा    बहुवचनम्

निद्रया  -  तृतीया   एकवचनम्

6 .

धीमताम कालो गच्छति   काव्यशास्त्राविनोदेन

व्यसनेन  च मूर्खानाम्  निद्रया कलहेन वा।


Everyone's friend,

Lakshmi R. Srinivasan . :-)))
Dear All,

Its practically difficult typing with this new keypad, yet I'll try to complete everything on time, Till then, kindly bear with me.

Lakshmi R. Srinivasan. :-)))

Lesson - 11

पृथ्वी पर तीन रत्न उपलब्ध हैं - जल, अनाज और मधुर वचन, किन्तु मानव जाति पत्थर यानि बहुमूल्य रत्नों के पीछे दौड़ता है।

भावार्थ : मनुष्य जीवन में बहुत अनमोल जल, अन्न और मधुर वचन या पुस्तक यानि अच्छे सीख देने वाले शास्त्र हैं, किन्तु मनुष्य धन जुटाने की  होड़ में है। 

जिस व्यक्ति को स्वबुद्धि न हो उसका शास्त्र से क्या लेना - देना ? जिस तरह एक नेत्रहीन व्यक्ति के हाथों में दर्पण हो।

भावार्थ :  मनुष्य की सबसे बड़ी उपलब्धि है, स्वयं के बारे में ज्ञान, इसका अर्थ यह है कि  जिसने स्वयं की कमज़ोरियों पर विजय प्राप्त नहीं किया उसका शास्त्र पठन  से या विद्या प्राप्त करने से कोई लाभ नहीं।

फलों से लड़े पेड़ झुकते है, सर्वगुण संपन्न व्यक्ति आदर में झुकते हैं , किन्तु सूखे हुए पेड़ और मूढ़ व्यक्ति कभी नहीं झुकते। ,

भावार्थ :  जिस तरह मीठे पके हुए फलों से लड़े वृक्ष अपने भार के कारण झुकते है, उसी तरह सभी सत  गुणों से सुसज्जित व्यक्ति , जिसमे अहम की भावना न हो  वह भी समयानुसार झुक कर कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करता है. परन्तु सूखे हुए वृक्ष जिसमे अब कभी फल नहीं लग सकते उनमे झुकने की संभावना कदापि नहीं, उसी तरह मुर्ख व्यक्ति यानि  कि  व्यक्ति जिसमे अहंकार हो वह कभी किसी के सामने नहीं झुकता।

विद्वानों का समय काव्य, शास्त्र आदि के पठन  में जाता है, किन्तु मुर्ख, अज्ञानियों का समय झगड़ों में, दुष्कर्मों  में और निद्रा में व्यतीत होता है।

भावार्थ:  सज्जन व्यक्ति अपना समय सत्कर्मों में  और दुर्जन दुष्कर्मों में बिताते हैं।

वाणी की मधुरता प्रयत्न के साथ - साथ बढ़ती है , जिस प्रकार धन के दान से जीवन सफल होता है।

भावार्थ:  कोई भी कार्य प्रयत्न के द्वारा सफल होती है उस प्रकार धन दान करने से अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है।  धन जुटाना कोई बड़ी बात नहीं , उसे दान करना भी आना चाहिए। 

सबकी दोस्त ,

लक्ष्मी आर।  श्रीनिवासन।  :)))

Friday 9 January 2015

Hi!!!! :-)

A very happy, peaceful, progressive & prosperous NEW YEAR 2015 to all of you!
 :-)))

I'm extremely sorry as my computer is still on a vacation with its doctor!

Hopefully, i'll start uploading the portions quite soon!

With lots of love,

Everyone's friend,

Lakshmi R. Srinivasan.