The portion of Sanskrit is Lesson 2 & Lesson 3.
मम विद्यालय: , गो सेवा : च
अस्माकं भारतदेश: कृषिप्रधन: देश: अस्ति.
हमारा भारत देश खेती पर आधारित देश है .
अत्रत्या : अनेके जना: ग्रामेषु निवसन्ति .
यहा बहुत से लोग गावॊ मे रहते हैं .
अस्माकं देशस्य सर्वश्रेष्ठ: पशु : गौ : अस्ति .
हमारे देश का सबसे श्रेष्ठ जानवर गाय है।
गौ: अस्मभ्यं मधुरं दुग्धं ददाति .
गाय हमें मीठा दूध देती है।
गोदुग्देभ्य: दधिम , घृतं च जायते .
गाय के दूध से दही और घी बनता है।
गोघृतं अतीव पवित्रं मन्यते .
गाय के घी को बहुत पवित्र माना जाता है।
गौ: अस्माकं बहु उपकारं करोति .
गाय हमारा बहुत प्रकार से सहायता करती है।
गोवत्सा: एव वृषभा: भवन्ति .
गाय बछड़े और बैल पैदा करती है।
वृषभा: हलेन क्षेत्राणि कर्षन्ति .
बैल हल से खेत जोतते हैं।
गोमयेन उपलानि निर्मीयन्ते .
गाय के गोबर से उपल तैयार करते हैं।
गोमयेन उर्वरशक्ति: वर्धते .
उपल से उपजाऊ शक्ति का विकास होता है।
उपलानां प्रयोग ईन्धने अपि भवति .
उपल को ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
गौ: घासं - तृणं च खादति .
गाय घास खाती है।
गौ: असमभ्यम् अतीव उपयोगी भवति .
गाय हमारे लिए बहुत उपयोगी है।
गौ: मातृवत् दुग्धादि दानेन अस्मान् पालयति .
गाय हमें दूध का दान देकर माता के सामान हमारा पालन - पोषण करती है।
अत: वयं गां 'गोमाता' अपि कथयाम : .
इसलिए हम गाय को "गोमाता" भी कहतें हैं।
मम विद्यालय: , गो सेवा : च
अस्माकं भारतदेश: कृषिप्रधन: देश: अस्ति.
हमारा भारत देश खेती पर आधारित देश है .
अत्रत्या : अनेके जना: ग्रामेषु निवसन्ति .
यहा बहुत से लोग गावॊ मे रहते हैं .
अस्माकं देशस्य सर्वश्रेष्ठ: पशु : गौ : अस्ति .
हमारे देश का सबसे श्रेष्ठ जानवर गाय है।
गौ: अस्मभ्यं मधुरं दुग्धं ददाति .
गाय हमें मीठा दूध देती है।
गोदुग्देभ्य: दधिम , घृतं च जायते .
गाय के दूध से दही और घी बनता है।
गोघृतं अतीव पवित्रं मन्यते .
गाय के घी को बहुत पवित्र माना जाता है।
गौ: अस्माकं बहु उपकारं करोति .
गाय हमारा बहुत प्रकार से सहायता करती है।
गोवत्सा: एव वृषभा: भवन्ति .
गाय बछड़े और बैल पैदा करती है।
वृषभा: हलेन क्षेत्राणि कर्षन्ति .
बैल हल से खेत जोतते हैं।
गोमयेन उपलानि निर्मीयन्ते .
गाय के गोबर से उपल तैयार करते हैं।
गोमयेन उर्वरशक्ति: वर्धते .
उपल से उपजाऊ शक्ति का विकास होता है।
उपलानां प्रयोग ईन्धने अपि भवति .
उपल को ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
गौ: घासं - तृणं च खादति .
गाय घास खाती है।
गौ: असमभ्यम् अतीव उपयोगी भवति .
गाय हमारे लिए बहुत उपयोगी है।
गौ: मातृवत् दुग्धादि दानेन अस्मान् पालयति .
गाय हमें दूध का दान देकर माता के सामान हमारा पालन - पोषण करती है।
अत: वयं गां 'गोमाता' अपि कथयाम : .
इसलिए हम गाय को "गोमाता" भी कहतें हैं।
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