मौखिक प्रश्न उत्तर :
१. राजा ने दरबारियों से क्या पूछा ?
ans : राजा ने दरबारियों से यह पूछा कि कहीं उन्होंने भ्रष्टाचार को देखा है।
२. राजा दरबारियों को क्या काम सौंपा ?
ans: जब कभी कहीं भ्रष्टाचार दिखाई दे तो उसका नमूना लाएं, ताकि पता चले वह होता कैसा है।
३. भ्रष्टाचार ढूंढने का काम किसको सौंपा गया?
१. राजा ने दरबारियों से क्या पूछा ?
ans : राजा ने दरबारियों से यह पूछा कि कहीं उन्होंने भ्रष्टाचार को देखा है।
२. राजा दरबारियों को क्या काम सौंपा ?
ans: जब कभी कहीं भ्रष्टाचार दिखाई दे तो उसका नमूना लाएं, ताकि पता चले वह होता कैसा है।
३. भ्रष्टाचार ढूंढने का काम किसको सौंपा गया?
ans : भ्रष्टाचार को खोजने का काम विशेषज्ञों को सौंपा गया।
४. महाराज का स्वास्थ्य क्यों बिगड़ता जा रहा है ?
ans : विशेषज्ञों की रिपोर्ट का पुलिंदा देखकर महाराज का स्वस्थ्य बिगड़ता जा रहा है।
५. तावीज़ बंधा होने पर भी इकतीस तारीख को कर्मचारी ने घुस लेना स्वीकार क्यों नहीं किया ?
ans : उसे जो वेतन मिला होगा , वह वेतन की अगली तारीख आने से पहले ही समाप्त हो गया होगा।
* दीर्घउत्तरीय प्रश्न उत्तर :
१. विशेषज्ञों ने भ्रष्टाचार मिटने का क्या - क्या उपाय बताया ?
ans : विशेषज्ञों ने सुझाया कि भ्रष्टाचार मिटने के लिए महाराज को व्यवस्था में बहुत सरे परिवर्तन करने होंगे। एक तो भ्रष्टाचार के मौके मिटने होंगे, जैसे ठेका है तो ठेकेदार है और ठेकेदार है तो अधिकारीयों की घूस है। ठेका मिट जाये तो उसकी घूस मिट जाये। इस तरह और बहुत - सी चीज़ें हैं, जिन कारणों से आदमी घूस लेता है।
२. साधु ने सदाचार और भ्रष्टाचार के बारे में क्या बताया ?
ans : साधु ने कहा कि भ्रष्टाचार और सदाचार मनुष्य की आत्मा में होता है, बाहर से नहीं होता। विधाता जब मनुष्य को बनता है , तब किसी की आत्मा में आत्मा में ईमान या बेईमानी के स्वर निकलते हैं , जिन्हे 'आत्मा की पुकार' कहते हैं। आत्मा के पुकार के अनुसार ही आदमी काम करता है।
३. महाराज को झंझट का क्या समाधान सुझाया गया ?
ans : महाराज को यह सुझाव दिया गया कि प्रत्येक आदमी की भुजा पर सदाचार की तावीज़ बाँध दिया जाए तो उसे ईमानदारी के रस्ते पर चलने को बाध्य करता रहे।
४. राजा ने तावीज़ की सत्यता / वैधता की जांच कैसे की ? उसके क्या परिणाम निकले ?
ans : राजा ने वेश बदलकर अपने कर्मचारियों को घूस देने की कोशिश की। पहली बार वह घूस देने में असफल रहा, क्यूंकि कर्मचारी ने घूस स्वीकार नहीं की। इससे राजा खुश हुआ। मगर दूसरी बार वाही कर्मचारी घूस को राज़ी हो गया क्यूंकि वह महीने का आखिरी दिन था। कर्मचारी के भ्रष्टाचारी आचरण से हैरान राजा ने जब उसकी बाजु पर बंधे तावीज़ के साथ कान लगाकर सुना, तो उसमे से आवाज़ आ रही थी, 'ले - ले , ले - ले ' , आज तो इकतीस तारीख है। यानि सदाचार के तावेज़ बाँधने भ्रष्टाचार नहीं निकला।
५. आशय स्पष्ट कीजिये :
क. 'वह स्थूल नहीं सूक्ष्म है, पर वह सर्वव्यापी है। उसे देखा नहीं अनुभव किया जा सकता है ' .
ख. तावीज़ में से स्वर निकल रहे थे - 'अरे आज इकतीस तारीख है, आज तो ले ले ' .
ans : क. भ्रष्टाचार व्यवहार है, कोई वास्तु नहीं, जो दिखाई दे। वह तो घूस के रूप में दी जा रही वास्तु या पदार्थ के रूप में होता है। उसे देखकर भी यह जाना जा सकता है कि भ्रष्टाचार हो रहा है।
ख. कर्मचारियों को जो मासिक वेतन मिलता रहा होगा, उससे पूरे महीने वह अपने परिवार का भरण - पोषण नहीं कर पते होंगे , इसलिए इकतीस तारीख को उनके मन में यह भाव अत होगा कि आज तो घूस लेने पर ही गुज़र संभव है, सो आज घूस ले ली जाये, कल जब वेतन मिल जायेगा तब फिर घूस लेना बंद। कर्मचारियों को पर्याप्त वेतन दिए बिना भ्रष्टाचार नहीं मिटाया जा सकता।
६. पाठ में छिपे व्यंग्य को स्पष्ट कीजिये।
ans : पाठ में व्यंग्य दिया गया है कि भाषणों, नैतिक मूल्यों, स्लोगनों या डंडे के ज़ोर पर भ्रष्टाचार को नहीं मिटाया जा सकता। यदि राज्य, कर्मचारियों को उनकी आवश्यकतायें पूरी करने के लिए पर्याप्त वेतन दे और नैतिक मूल्यों की स्थापना हो जाये तो भ्रष्टाचार समाप्त हो जायेगा।
जीवनमूल्यपरक प्रश्न उत्तर :
१. कभी - कभी सदाचार भ्रष्टाचार में क्यों बदल जाती है ? परिस्थितियाँ ऐसी होती हैं या विवशता ?
ans : क. सदाचार को भ्रष्टाचार में बदलने का काम कभी परिस्थितियां करती है तो कभी विवशता। कभी यह बहाना भी होता है और सोचने का दृष्टिकोण।
ख. सबके साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करना , किसी को दण्डित न करना , कोई बात या काम प्यार से समझाना , ये सब सदाचार के लक्षण हैं।
ग. कई कर्मचारी शुरू - शुरू में रिश्वतखोरी नहीं करते , पर दूसरों के दबाव में करने लगते हैं। इन्हे परिस्थितियों या विवशता के कारण भ्रष्टाचारी बनना कहा जा सकता है।
घ. कोई यह सोचकर भ्रष्टाचारी हो जाते हैं कि जब सब भ्रष्टाचारी हैं तो अकेले मेरे सदाचारी बने रहने से क्या अंतर पड़ने वाला है।
अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्न उत्तर :
"मुझे नहीं मालूम था कि मेरे राज्य में ऐसे चमत्कारी साधु भी हैं। मगर हमें लाखों नहीं करोड़ों तावीज़ चाहिए। हम राज्य की ओर से तावीज़ों का एक कारखाना खोल देते हैं। आप उसके जनरल मेनेजर बन जाएँ और अपनी देख - रेख में बढ़िया तावीज़ बनवाइए। "
१. राजा क्यों खुश थे ?
ans : राजा खुश हो रहा था क्यूंकि उसे पहली बार पता लगा था कि उसके राज्य में ऐसे चमत्कारी साधु हैं।
२. करोड़ों तावीज़ की आवश्यकता क्यों थी ?
ans : राज्य के हर नागरिक के हाथ पर बंधने के लिए करोड़ों तावीज़ की आवश्यकता थी।
३. किसको जनरल मेनेजर बनाने के लिए कहा जा रहा था और क्यों ?
ans : साधु को जनरल मेनेजर बनाने के लिए कहा जा रहा था ताकि वह अपने देख-रेख में तावीज़ का निर्माण कर सके।
Hurray ! Its OVER.
Thank you
ReplyDeleteHappy to help. 🌸
DeleteThankyou so much
DeleteYeee
ReplyDeleteधन्यवाद। 🌸
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Thank you so much 😃
ReplyDeleteBhrastachar or sadachar ka kya aarth hai?
ReplyDeleteVery nice thank you 😊
ReplyDeleteThnxx!!
ReplyDeleteReally very helpful 👍👍👍👍👍🙂
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ReplyDeleteसदाचार का तावीज़ कहानी क्या संदेश देती है ?
ReplyDeleteकई वर्ष बीत चुके, मैं आपके प्रश्न के उत्तर देने का प्रयास करूंगी।
ReplyDeleteहंस पाठ में मनुष्य को सदाचारी बनाए रखने के लिए तावीज़ बनाने की बात की जा रही है, किंतु उसके निर्माण, वितरण आदि में ही भ्रष्टाचार होना एक तरह से व्यंग्यपूर्ण है।
यूं ट्यूब में और सूचना उपलब्ध है।
Very helpful😁😀
ReplyDeleteThank You 🙏🌺
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