जल यात्रा
पृ १. अपने इस पृथ्वी गृह के मूल स्वरूप का अननुमान कब और कैसे लग सकता है?
उत्तर : पृथ्वी गृह के मूल स्वरूप का अनुमान लम्बी समुद्री यात्रा पर जाकर ही हो सकता है। तभी मनुष्य को यह पता चलेगा कि इस धरती पर पानी अधिक आधिपत्य है।
पृ २। सजीव कलाकृतियां किसे कहा गया है और क्यों ?
उत्तर : बादलों को सजीव कलाकृतियां कहा गया है क्योंकि ये धरती को हरा - भरा और शीतल करके जीवन प्रदान करती है।
पृ ३। नदियों में बाँध क्यों बनाने पड़े ?
उत्तर : नदियों पर बाँध इसलिए बनाने पड़े क्योंकि जनसँख्या वृद्धि के कारण हमारी आवश्यकताएं बढ़ गयीं हैं। हमें अधिक अन्न और बिजली चाहिए। ऐसे में बांधों में , सिंचाई के लिए और बिजली उत्पादन के लिए जल का संचय आवश्यक हो गया।
पृ ४। नदी पानी का कौन सा रूप है ?
उत्तर : नदी पानी का चंचल रूप है।
पृ ५ . नदी में घुले रसायन कौन - कौन से रोग फैलाते हैं ?
उत्तर : नदी में घुले रसायन कॉलरा , टायफॉइड और दस्त जैसे रोग फैलाते हैं।
दीर्घउत्तरीय पृश्न
१. समुद्र अपने खारेपन को कैसे दूर करता है ?
उत्तर : समुद्र का खारापन प्राकृतिक रूप से दूर होता है / जब सूरज की गर्मी से समुद्र का पानी गरम होता है तो उससे भाप बनती है। यह पानी जब भाप का रूप धारण करती है तो खारापन दूर हो जाता है। इसी भाप से बादल बनता है और फिर वर्षा होती है। (Nothing but water - cycle in Hindi)
२. बादलों का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर : सूर्य की गर्मी से तपकर समुद्र का पानी भाप बनता है। निराकार भाप ऊपर जाकर साकार बादल में ढल जाती है। इन बादलों को मानसून की हवाएँ सैकड़ों या हज़ारों किलोमीटर दूर की जगहों तक ले जाती हैं।
३. पाठ में नदी के क्या - क्या लाभ बताये गए हैं ?
उत्तर : पाठ में नदी के निम्नलिखित लाभ बताये गए हैं :
(i ) संस्कृतों का उद्गम नदियों की ही दें है।
(ii ) नदियों से ही जीवनयापन संभव हुआ है।
(iii ) नदियों से कृषि करना संभव हुआ है।
(iv ) नदी जल - जीव - जंतुओं की रक्षा करने वाली भी है।
४. नदियों के विषाक्त होने के क्या - क्या कारण हैं ?
उत्तर : कल - कारखानों द्वारा ज़हरीले रासायनिक पदार्थ पानी में बहा देने से नदियां ज़हरीली हो रही हैं। इसके अलावा किसानों द्वारा अपने खेतों में कीटनाशकों का छिड़काव करने से नदियाँ दोषित हो रही हैं।
५. 'पानी का चंचल रूप है नदी' - कहने के पीछे लेखक का क्या भाव रहा होगा?
उत्तर : लेखक द्वारा नदी को पानी का चंचल रूप कहने के पीछे यही भाव रहा होगा कि वे सदा अनियंत्रित होने से कभी - कभी बाढ़ जैसी स्तिथि भी आ जाती है।
६. ऐसा क्यों कहा गया है ?
(i ) आखिर हम इस धरती पर मेहमान हैं।
(ii ) पानी जहाँ से आया था फिर से वापस नहीं जाता।
उत्तर : (i ) जिस तरह मेहमान कुछ समय टिककर विदा हो जाते हैं, उसी तरह मनुष्य धरती पर कुछ वर्ष जीवित रहकर अंत में मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। इसलिए हम धरती पर मेहमान के समान हैं।
(ii ) समुद्र का पानी सूर्य की गर्मी से बादल बनकर , बादल रूप से वर्षा बनकर , फिर वर्षा से नदी बहता है। अंत में समुद्र में ढल जाता है और वापस नहीं पहुँचता।
७. संस्कृतियाँ नदी के किनारे ही क्यों जन्म लेती हैं ?
उत्तर : मनुष्य जीवन की प्रथम आवश्यकता पानी है। मनुष्य को पानी की ज़रुरत पिने या दैनिक कार्यों की पूर्ती के लिए होती है। इसके अतिरिक्त नदियों की पानी से सिंचाई करके, कृषि के क्षेत्र में भी सफ़लता मिलती है। इसी कारण संस्कृतियों का जन्म नदी पर ही होता रहा।
८. पानी के विभिन्न रूप में क्या - क्या रासायनिक परिवर्तन होते हैं? लिखिए।
उत्तर : कल - कारखानों के खतरनाक रासायनिक पदार्थ और शहरों का मल आदि नदियों में बहा देने से वे विषाक्त हो रही हैं। दूसरी ओऱ किसान खेतों में जिन कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं, वह देर -सवेरे नदियों में पहुँचता है। इससे नदियां विषाक्त हो रही हैं। इनमे से बहुत ज़हरीले रासायनिक पदार्थ बरसों बाद भी प्रभावहीन नहीं होते।
जीवनमूल्यपरक प्रश्न उत्तर :
पानी न होता तो कुछ न होता - क्या आपके विचार में यह कथन सार्थक है ? सिद्ध कीजिये।
उत्तर : (i ) पानी न होता तो - मेरे विचार में यह कथन सार्थक है , क्योंकि जल ही जीवन है।
(ii ) यह सच भी है। मनुष्य पशु - पक्षी, वनस्पति एवं जलचर जल पर आश्रित हैं। सबको जीवन जल ही देता है
(iii ) पानी के इस महत्व का पता हमें उन कहावतों से भी चलता है, जो उस जल से सम्बन्ध तो नहीं रखती जिसका हम सेवन करते हैं , पर उसका होना आवश्यक है। इस ओऱ आवश्यक संकेत करती है।
(iv ) रहीम जी ने भी अपनने दोहे में कहा है :
रहिमन पानी रखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गए न उतरे, मोती, मानस चून .
That's it today, dearies, am exhausted . lsn - 4 tomorrow.
पृ १. अपने इस पृथ्वी गृह के मूल स्वरूप का अननुमान कब और कैसे लग सकता है?
उत्तर : पृथ्वी गृह के मूल स्वरूप का अनुमान लम्बी समुद्री यात्रा पर जाकर ही हो सकता है। तभी मनुष्य को यह पता चलेगा कि इस धरती पर पानी अधिक आधिपत्य है।
पृ २। सजीव कलाकृतियां किसे कहा गया है और क्यों ?
उत्तर : बादलों को सजीव कलाकृतियां कहा गया है क्योंकि ये धरती को हरा - भरा और शीतल करके जीवन प्रदान करती है।
पृ ३। नदियों में बाँध क्यों बनाने पड़े ?
उत्तर : नदियों पर बाँध इसलिए बनाने पड़े क्योंकि जनसँख्या वृद्धि के कारण हमारी आवश्यकताएं बढ़ गयीं हैं। हमें अधिक अन्न और बिजली चाहिए। ऐसे में बांधों में , सिंचाई के लिए और बिजली उत्पादन के लिए जल का संचय आवश्यक हो गया।
पृ ४। नदी पानी का कौन सा रूप है ?
उत्तर : नदी पानी का चंचल रूप है।
पृ ५ . नदी में घुले रसायन कौन - कौन से रोग फैलाते हैं ?
उत्तर : नदी में घुले रसायन कॉलरा , टायफॉइड और दस्त जैसे रोग फैलाते हैं।
दीर्घउत्तरीय पृश्न
१. समुद्र अपने खारेपन को कैसे दूर करता है ?
उत्तर : समुद्र का खारापन प्राकृतिक रूप से दूर होता है / जब सूरज की गर्मी से समुद्र का पानी गरम होता है तो उससे भाप बनती है। यह पानी जब भाप का रूप धारण करती है तो खारापन दूर हो जाता है। इसी भाप से बादल बनता है और फिर वर्षा होती है। (Nothing but water - cycle in Hindi)
२. बादलों का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर : सूर्य की गर्मी से तपकर समुद्र का पानी भाप बनता है। निराकार भाप ऊपर जाकर साकार बादल में ढल जाती है। इन बादलों को मानसून की हवाएँ सैकड़ों या हज़ारों किलोमीटर दूर की जगहों तक ले जाती हैं।
३. पाठ में नदी के क्या - क्या लाभ बताये गए हैं ?
उत्तर : पाठ में नदी के निम्नलिखित लाभ बताये गए हैं :
(i ) संस्कृतों का उद्गम नदियों की ही दें है।
(ii ) नदियों से ही जीवनयापन संभव हुआ है।
(iii ) नदियों से कृषि करना संभव हुआ है।
(iv ) नदी जल - जीव - जंतुओं की रक्षा करने वाली भी है।
४. नदियों के विषाक्त होने के क्या - क्या कारण हैं ?
उत्तर : कल - कारखानों द्वारा ज़हरीले रासायनिक पदार्थ पानी में बहा देने से नदियां ज़हरीली हो रही हैं। इसके अलावा किसानों द्वारा अपने खेतों में कीटनाशकों का छिड़काव करने से नदियाँ दोषित हो रही हैं।
५. 'पानी का चंचल रूप है नदी' - कहने के पीछे लेखक का क्या भाव रहा होगा?
उत्तर : लेखक द्वारा नदी को पानी का चंचल रूप कहने के पीछे यही भाव रहा होगा कि वे सदा अनियंत्रित होने से कभी - कभी बाढ़ जैसी स्तिथि भी आ जाती है।
६. ऐसा क्यों कहा गया है ?
(i ) आखिर हम इस धरती पर मेहमान हैं।
(ii ) पानी जहाँ से आया था फिर से वापस नहीं जाता।
उत्तर : (i ) जिस तरह मेहमान कुछ समय टिककर विदा हो जाते हैं, उसी तरह मनुष्य धरती पर कुछ वर्ष जीवित रहकर अंत में मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। इसलिए हम धरती पर मेहमान के समान हैं।
(ii ) समुद्र का पानी सूर्य की गर्मी से बादल बनकर , बादल रूप से वर्षा बनकर , फिर वर्षा से नदी बहता है। अंत में समुद्र में ढल जाता है और वापस नहीं पहुँचता।
७. संस्कृतियाँ नदी के किनारे ही क्यों जन्म लेती हैं ?
उत्तर : मनुष्य जीवन की प्रथम आवश्यकता पानी है। मनुष्य को पानी की ज़रुरत पिने या दैनिक कार्यों की पूर्ती के लिए होती है। इसके अतिरिक्त नदियों की पानी से सिंचाई करके, कृषि के क्षेत्र में भी सफ़लता मिलती है। इसी कारण संस्कृतियों का जन्म नदी पर ही होता रहा।
८. पानी के विभिन्न रूप में क्या - क्या रासायनिक परिवर्तन होते हैं? लिखिए।
उत्तर : कल - कारखानों के खतरनाक रासायनिक पदार्थ और शहरों का मल आदि नदियों में बहा देने से वे विषाक्त हो रही हैं। दूसरी ओऱ किसान खेतों में जिन कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं, वह देर -सवेरे नदियों में पहुँचता है। इससे नदियां विषाक्त हो रही हैं। इनमे से बहुत ज़हरीले रासायनिक पदार्थ बरसों बाद भी प्रभावहीन नहीं होते।
जीवनमूल्यपरक प्रश्न उत्तर :
पानी न होता तो कुछ न होता - क्या आपके विचार में यह कथन सार्थक है ? सिद्ध कीजिये।
उत्तर : (i ) पानी न होता तो - मेरे विचार में यह कथन सार्थक है , क्योंकि जल ही जीवन है।
(ii ) यह सच भी है। मनुष्य पशु - पक्षी, वनस्पति एवं जलचर जल पर आश्रित हैं। सबको जीवन जल ही देता है
(iii ) पानी के इस महत्व का पता हमें उन कहावतों से भी चलता है, जो उस जल से सम्बन्ध तो नहीं रखती जिसका हम सेवन करते हैं , पर उसका होना आवश्यक है। इस ओऱ आवश्यक संकेत करती है।
(iv ) रहीम जी ने भी अपनने दोहे में कहा है :
रहिमन पानी रखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गए न उतरे, मोती, मानस चून .
That's it today, dearies, am exhausted . lsn - 4 tomorrow.
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