संस्कृत आसान है। इसलिए क्योंकि बाकी भाषाओँ के मुकाबले इसका व्याकरण बहुत सरल है।
एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथम पुरुष स: तौ ते
ति त : अंतइ
मध्यम पुरुष त्वम युवाम यूयम्
सि थ : थ
उत्तम पुरुष अहम आवाम वयम
आमि आव : आम :
यहाँ एकवचन का मतलब सिंगुलर, द्विवचन का मतलब ड्यूल और बहुवचन का मतलब प्लूरल है। यही संस्कृत भाषा की सुंदरता है। बाकि भाषाओँ में सिंगुलर और प्लूरल ही है परन्तु इसमें ड्यूल भी है।
प्रथम पुरुष का मतलब "थर्ड पर्सन", मध्यम पुरुष का मतलब "सेकंड पर्सन" और उत्तम पुरुष का मतलब "फर्स्ट पर्सन" है।
जब हम किसी व्यक्ति के बारे में किसी दोस्त या परिवारजन से बात करते है तो वह व्यक्ति थर्ड पर्सन या प्रथम पुरुष होता है।
मध्यम पुरुष वह व्यक्ति है जिससे हम बात कर रहें हैं।
उत्तम पुरुष हम या हम से जुड़े लोग हैं।
ऊपर दिए तालिका के अनुसार,
जिन शब्दों के नीचे जो मात्राएँ दी गयी हैं उन्ही का उपयोग होगा। जैसे स : क्रीडति , ते क्रीडत :, तौ क्रीडन्ति। तवं क्रीडसि , युवाम क्रीडथ्: , यूयं क्रीडथ्। अहम क्रीडामि , आवाम क्रीड़ाव :, वयम क्रीड़ाम : .
आज के लिए बस इतना ही। कल फिर मिलेंगे। शुभ रात्रि।
एल आर एस। :-)
एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथम पुरुष स: तौ ते
ति त : अंतइ
मध्यम पुरुष त्वम युवाम यूयम्
सि थ : थ
उत्तम पुरुष अहम आवाम वयम
आमि आव : आम :
यहाँ एकवचन का मतलब सिंगुलर, द्विवचन का मतलब ड्यूल और बहुवचन का मतलब प्लूरल है। यही संस्कृत भाषा की सुंदरता है। बाकि भाषाओँ में सिंगुलर और प्लूरल ही है परन्तु इसमें ड्यूल भी है।
प्रथम पुरुष का मतलब "थर्ड पर्सन", मध्यम पुरुष का मतलब "सेकंड पर्सन" और उत्तम पुरुष का मतलब "फर्स्ट पर्सन" है।
जब हम किसी व्यक्ति के बारे में किसी दोस्त या परिवारजन से बात करते है तो वह व्यक्ति थर्ड पर्सन या प्रथम पुरुष होता है।
मध्यम पुरुष वह व्यक्ति है जिससे हम बात कर रहें हैं।
उत्तम पुरुष हम या हम से जुड़े लोग हैं।
ऊपर दिए तालिका के अनुसार,
जिन शब्दों के नीचे जो मात्राएँ दी गयी हैं उन्ही का उपयोग होगा। जैसे स : क्रीडति , ते क्रीडत :, तौ क्रीडन्ति। तवं क्रीडसि , युवाम क्रीडथ्: , यूयं क्रीडथ्। अहम क्रीडामि , आवाम क्रीड़ाव :, वयम क्रीड़ाम : .
आज के लिए बस इतना ही। कल फिर मिलेंगे। शुभ रात्रि।
एल आर एस। :-)
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