रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।
रहीम कहते हैं कि , प्रेम का बंधन बड़ा ही नाज़ुक होता है। रिश्तों में एक बार खटास या किन्हीं कारणों से बात बिगड़ जाए तो रिश्तों का फिर से सही हो पाना बहुत कठिन है , जिस तरह से धागे के टूट जाने से वह कभी नहीं मिलता और अगर मिल भी जाए तो उसमे गाँठ पड़ जाती है।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।
रहीम कहते हैं कि , प्रेम का बंधन बड़ा ही नाज़ुक होता है। रिश्तों में एक बार खटास या किन्हीं कारणों से बात बिगड़ जाए तो रिश्तों का फिर से सही हो पाना बहुत कठिन है , जिस तरह से धागे के टूट जाने से वह कभी नहीं मिलता और अगर मिल भी जाए तो उसमे गाँठ पड़ जाती है।
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