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Tuesday, 22 September 2015

BEST WISHES! :-)

Hey All!

Have FAITHKEEP COOL and DO YOUR BEST!

Seetha Lakshmi! :-)

Monday, 7 September 2015

SA-1

Dear Kids / Parents,

I'm sorry its taking longer as the posts I had typed got deleted, and I don't believe in going into the how and why of that! Such a waste of time! I'd just type it one lesson at a time and post it as soon as possible. So, guys, don't worry. It'll all be done by next Sunday, hopefully, by my everything, Lord Krishna's grace! Sorry for the inconvenience. !

I'm concentrating only on Hindi, as of now, English could be dealt later!

I'll also post everything on a blog called 9thSA1.blogspot.com . You can view it there too.

Everyone's friend,

Seetha Lakshmi. :-)

Wednesday, 2 September 2015

Gillu!

गिल्लू

बोध प्रश्न

१.  सोनजुही में लगी पीली  कली  ……। उमड़ने लगे ?

उ  बहुत समय पहले लेखिका को एक गिलहरी अधमरी हालत में मिली थी , जिसको उन्होंने बहुत प्रेम से अपने साथ रखके था।  उसके मरने के बाद उसे सोनजुही के नीचे उन्होंने दफना दिया।  अब सोनजुही में लगे पीली काली को देख उन्हे अनायास ही गिल्लू गिलहरी का स्मरण सो आया जो उसके डाली से उनके कंधे पर कूद जाता था।

२.  पाठ के आधार पर। …… कहा गया है ?

उ  पुरखों की तिथि पर यह माना जाता है कि  वे कौओं के रूप में हमारे दर्शन करने आते हैं और उन्हें अन्न एवं अन्य खाद्य पदार्थ देकर हम सम्मानित करते है , वहीँ दूसरी और वह अपनी कर्कश वाणी से हमें बहुत परेशान करता है जिस कारण वह बहुत अपमानित जीव भी है।

३  गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया है ?

उ  लेखिका को एक दिन अपने बाग़ में टहलते हुए कौवों के घोंसले से कुछ गिरा हुआ दिखाई दिया।  वह कौवों द्वारा घायल किया गिलहरी का एक छोटा बच्चा था, निर्जीव पड़ा था ।  उन्होंने रुई से उसका रक्त पोंछा , घावों पर मरहम लगाया एवं रुई की पतली बत्ती दूध में भिगोकर उसके मुंह पर रखती रहीं , पहले तो उन्हें सफलता नहीं मिली किन्तु उनकी इस सेवा से गिल्लू शीघ्र ठीक हो गया।

४  लेखिका का ध्यान। …… करता था ?

उ  लेखिका जब लिखने बैठतीं तब गिल्लू उनका ध्यान आकर्षित करने के लिए उनके पैर तक आकर तेज़ी से परदे के ऊपर और नीचे  चढ़ता रहता।  यह कार्यकलाप तब तक चलता, जब तक लेखिका स्वयं उसे पकड़ने के लिए न उठतीं।

५.   गिल्लू को मुक्त। ……   उपाय बताया ?

उ  गिल्लू के जीवन की पहली बसंत पर उसे बहुत साड़ी गिलहरियाँ घर के बाहर खेलतीं, मज़े करतीं हुई दिखाई पड़ीं।  वह अपनी नन्हीं , चमकीली आँखों से उन्हें निहारता रहता।  वह काफी उदास हो जाता था, इसलिए लेखिका ने खिड़की की जाली खोल दी ताकि वह अंडर बाहर आ जा सके।

६.  गिल्लू किन। ……। निभा रही थी

उ  लेखिका दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद जब घर वापस आईं , तब गिल्लू अपने पंजों से उनके बाल हौले - हौले सहलाता जैसे एक माँ या परिचारिका बीमार होने पर अस्वस्थ होने पर हमारी सेवा करती है।  इस प्रकार लेखिका के बीमार होने पर गिल्लू ने परिचारिका की तरह उनकी सेवा की .

७  गिल्लू की किन .......... आ गया था ?

उ  गिलहरियों का जीवन समय केवल दो वर्षों की होती है .  जब गिल्लू का अंत समय आया , तो उसने खाना पीना छोड़ दिया।  अपने झूले से उतारकर वह लेखिका के पास बिस्तर पर लेट गया।  अपने पंजे लेखिका की ऊँगली से सटाकर चिपक गया।  उसके पंजे ठन्डे पद गए।  लेखिका के हीटर चालू करने पर भी वह हमेशा के लिए सो गया।

८  प्रभात की। …। आशय स्पष्ट कीजिए।

अर्थ:  सूरज की पहली किरण जब धार्र्टी पर पड़ी तब तक गिल्लू अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर चुका था।

भाव :  इस संसार में जो भी जीव पैदा होता है, उसे एक दिन मरना भी पड़ता है।  यह सत्य सभी को मालूम है फिर भी किसी के जन्म लेने पर हम अत्यंत प्रसन्न होते हैं और मरने पर बहुत दुखी।  हमे अपने परिवारजन, मित्र, सगे - सम्बन्धी , यहां तक कि  पालतू पशुओं से भी बहुत लगाव हो जाता है और उनके मरने पर हम बहुत आँसू  बहाते हैं।  प्रकृति के इस नियम से कोई भी पर नहीं है। परन्तु हमारे धार्मिक आस्थानुसार हम यह मानते हैं कि  मरणोपरांत पुनर्जन्म भी है।

९.  सोनजुही के लता के। ……… जन्म होता है।

उ  गिल्लू को सोनजुही की लता से काफी लगाव था।  इसलिए उसके मरणोपरांत लेखिका ने उसी सोनजुही की लता के नीचे  उसे दफना दिया।  उनका यह मानना था कि  गिल्लू सोनजुही की पीली कली  के रूप में फिर से जन्म लेगा।



Seetha Lakshmi R. Srinivasan. :-))

Monday, 31 August 2015

Raidaas

पद की प्रत्येक पंक्ति के अंत में तुकांत शब्दों प्रयोग। ………… छांटकर लिखिए।

उ       बाती               -   राती
          मोर                -   चकोर
          धागा              -    सुहागा
          दासा            -     रैदासा
प्र  ३.   पहले पद में कुछ। …………  स्पष्ट कीजिए।

उ।     दीपक                 -              बाती
          चन्दन                 -              पानी
          घन                    -               मोर
          मोती                 -               धागा
         चाँद                  -                चकोरा

प्र  ४   दूसरे पद में कवि ने। ……। स्पष्ट कीजिए।

उ      कवि का कहना है कि  भगवान के सामान कृपालु और कोई नहीं हो सकता, जो अपने भक्तों के लिए इतना करती कर सके।  वह दिन - दुखियों और गरीबों पर दया करने वाला है।  इसीलिए कवि ने उन्हें 'गरीब - निवाजु'  कहा है।

प्र  ५  दूसरे पद की ' जाकी। ....... तुंही ढ़रै '   स्पष्ट कीजिए।

उ।    कवि का कहना है कि  भगवान के सामान कृपालु इस संसार में और कोई नहीं।  क्योंकि वह नीच (गुणों से) वक्ती को भी राजा के सामान सम्मान प्रदान करते हैं, जिससे लोग बहुत दुखी हैं , ऐसे अधमी व्यक्ति पर भी भगवान अपनी कृपा बरसाते है .

प्र  ६  रैदास ने स्वामी को किन - किन नामों से पुकारा है

उ  रैदास ने स्वामी को लाल , गरीब - निवाजु , गुसईया  आदि नामों से पुकारा है।

प्र   ७  निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए।

उ   मोरा  - मोर
     चंद    -  चाँद
     बाती  - बत्ती
     जोती   - ज्योति
     वरै    - जलना
     घरै    - रखना
     छोती  - छुआछूत
     तुहीं  - तुमही
    गुसाइआ  - स्वामी

Seetha Lakshmi R. Srinivasan. :-)


Saturday, 22 August 2015

Rakshabandhan रक्षाबंधन

🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷

नहीं चाहिए मुझको हिस्सा माँ-बाबा की दौलत में
चाहे वो कुछ भी लिख जाएँ भैया मेरे ! वसीयत में

नहीं चाहिए मुनझको झुमका चूड़ी पायल और कंगन
नहीं चाहिए अपनेपन की कीमत पर बेगानापन

मुझको नश्वर चीज़ों की दिल से कोई दरकार नहीं
संबंधों की कीमत पर कोई सुविधा स्वीकार नहीं

माँ के सारे गहने-कपड़े तुम भाभी को दे देना
बाबूजी का जो कुछ है सब ख़ुशी ख़ुशी तुम ले लेना

चाहे पूरे वर्ष कोई भी चिट्ठी-पत्री मत लिखना
मेरे स्नेह-निमंत्रण का भी चाहे मोल नहीं करना

नहीं भेजना तोहफे मुझको चाहे तीज-त्योहारों पर
पर थोडा-सा हक दे देना बाबुल के गलियारों पर

रूपया पैसा कुछ ना चाहूँ..बोले मेरी राखी है
आशीर्वाद मिले मैके से मुझको इतना काफी है

तोड़े से भी ना टूटे जो ये ऐसा मन -बंधन है
इस बंधन को सारी दुनिया कहती रक्षाबंधन है

तुम भी इस कच्चे धागे का मान ज़रा-सा रख लेना
कम से कम राखी के दिन बहना का रस्ता तक लेना।

🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷🍀🌷

Sunday, 2 August 2015

:-)))

HAPPY FRIENDSHIP DAY ALL!
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।


Have a wonderful day and best of luck with your tests! :-)))

Seetha Lakshmi! :-)

Sunday, 26 July 2015

Sumangali prarthanai!:-))

The first time I heard it was before my marriage! Every woman just jumps into a hyperzone hearing it, especially the ones I encountered!:-)

In Hindu tradition, there are a series of samskaras starting at birth and ending with one's death. An year after a person's death, a ceremony called Shrardham / divasam meaning a day of remembrance is observed. When women die without a child or without a valid heir who could perform this or for women who didn't get married and those who died young, Sumangali Prarthanai is observed.

This is done by the mother-in law and the daughter-in-law. The daughters who are married are invited to accept the offerings! What's this OFFERING?

It is an elaborately cooked meal, consisting of rice, only certain kind of vegetables and some savouries!

A count of 5 and the odd numbers succeeding are invited and two girls under the age of 10 are included! All the ladies are invited the day before by given a pack of herbal bathing powder, henna, turmeric and kunkum (used by married women).

The next day, they are required to use the given items to take bath, wash their hair and wear a nine yard saree and attend the function.

These clothes should belong to the madi vastram category! NOW, WHAT IS MADI?

In the olden days, people were very particular about this! There was atleast one set of cloth washed, dried and kept separately, that could be used during any sacred, purifying ritual.

I recently learned that even if its a new, silk one it has to be washed, dried and kept separately!

Once the invitees arrive, they are served the meal on a plantain leaf. A separate leaf is kept in remembrance of all departed souls! Once the invitees finish their meal, they are served panakam.made of jaggery, water and other digestion aiding ingredients! One can also serve buttermilk, then comes betel leaf and nut. All these help in digestion.

Once,this part is over, the ladies are offered decorative items like kajal(for eyes), henna, comb, bangles, turmeric, bindi/kunkum! Anything that beautifies!:-)

If the daughters are unavailable due to some reasons, one can invite some other women too!

Many are quite tense and uptight during these ceremonies, turning it into a very serious issue! In my humble opinion, all those who lived with us were our mothers, grandmothers and other blood relatives! People who'd never think of hurting us! Just because they've departed doesn't turn them into mindless monsters! I personally believe they watch over us, guard us and won't punish us severely! I know, because I will be all forgiving! So, though the ceremony requires sincerity, concentration and a pure body and mind, every single thing doesn't need to be approached with such FEAR!

Everyone's friend,
Seetha Lakshmi R S. :-)