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Wednesday 2 September 2015

Gillu!

गिल्लू

बोध प्रश्न

१.  सोनजुही में लगी पीली  कली  ……। उमड़ने लगे ?

उ  बहुत समय पहले लेखिका को एक गिलहरी अधमरी हालत में मिली थी , जिसको उन्होंने बहुत प्रेम से अपने साथ रखके था।  उसके मरने के बाद उसे सोनजुही के नीचे उन्होंने दफना दिया।  अब सोनजुही में लगे पीली काली को देख उन्हे अनायास ही गिल्लू गिलहरी का स्मरण सो आया जो उसके डाली से उनके कंधे पर कूद जाता था।

२.  पाठ के आधार पर। …… कहा गया है ?

उ  पुरखों की तिथि पर यह माना जाता है कि  वे कौओं के रूप में हमारे दर्शन करने आते हैं और उन्हें अन्न एवं अन्य खाद्य पदार्थ देकर हम सम्मानित करते है , वहीँ दूसरी और वह अपनी कर्कश वाणी से हमें बहुत परेशान करता है जिस कारण वह बहुत अपमानित जीव भी है।

३  गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया है ?

उ  लेखिका को एक दिन अपने बाग़ में टहलते हुए कौवों के घोंसले से कुछ गिरा हुआ दिखाई दिया।  वह कौवों द्वारा घायल किया गिलहरी का एक छोटा बच्चा था, निर्जीव पड़ा था ।  उन्होंने रुई से उसका रक्त पोंछा , घावों पर मरहम लगाया एवं रुई की पतली बत्ती दूध में भिगोकर उसके मुंह पर रखती रहीं , पहले तो उन्हें सफलता नहीं मिली किन्तु उनकी इस सेवा से गिल्लू शीघ्र ठीक हो गया।

४  लेखिका का ध्यान। …… करता था ?

उ  लेखिका जब लिखने बैठतीं तब गिल्लू उनका ध्यान आकर्षित करने के लिए उनके पैर तक आकर तेज़ी से परदे के ऊपर और नीचे  चढ़ता रहता।  यह कार्यकलाप तब तक चलता, जब तक लेखिका स्वयं उसे पकड़ने के लिए न उठतीं।

५.   गिल्लू को मुक्त। ……   उपाय बताया ?

उ  गिल्लू के जीवन की पहली बसंत पर उसे बहुत साड़ी गिलहरियाँ घर के बाहर खेलतीं, मज़े करतीं हुई दिखाई पड़ीं।  वह अपनी नन्हीं , चमकीली आँखों से उन्हें निहारता रहता।  वह काफी उदास हो जाता था, इसलिए लेखिका ने खिड़की की जाली खोल दी ताकि वह अंडर बाहर आ जा सके।

६.  गिल्लू किन। ……। निभा रही थी

उ  लेखिका दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद जब घर वापस आईं , तब गिल्लू अपने पंजों से उनके बाल हौले - हौले सहलाता जैसे एक माँ या परिचारिका बीमार होने पर अस्वस्थ होने पर हमारी सेवा करती है।  इस प्रकार लेखिका के बीमार होने पर गिल्लू ने परिचारिका की तरह उनकी सेवा की .

७  गिल्लू की किन .......... आ गया था ?

उ  गिलहरियों का जीवन समय केवल दो वर्षों की होती है .  जब गिल्लू का अंत समय आया , तो उसने खाना पीना छोड़ दिया।  अपने झूले से उतारकर वह लेखिका के पास बिस्तर पर लेट गया।  अपने पंजे लेखिका की ऊँगली से सटाकर चिपक गया।  उसके पंजे ठन्डे पद गए।  लेखिका के हीटर चालू करने पर भी वह हमेशा के लिए सो गया।

८  प्रभात की। …। आशय स्पष्ट कीजिए।

अर्थ:  सूरज की पहली किरण जब धार्र्टी पर पड़ी तब तक गिल्लू अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर चुका था।

भाव :  इस संसार में जो भी जीव पैदा होता है, उसे एक दिन मरना भी पड़ता है।  यह सत्य सभी को मालूम है फिर भी किसी के जन्म लेने पर हम अत्यंत प्रसन्न होते हैं और मरने पर बहुत दुखी।  हमे अपने परिवारजन, मित्र, सगे - सम्बन्धी , यहां तक कि  पालतू पशुओं से भी बहुत लगाव हो जाता है और उनके मरने पर हम बहुत आँसू  बहाते हैं।  प्रकृति के इस नियम से कोई भी पर नहीं है। परन्तु हमारे धार्मिक आस्थानुसार हम यह मानते हैं कि  मरणोपरांत पुनर्जन्म भी है।

९.  सोनजुही के लता के। ……… जन्म होता है।

उ  गिल्लू को सोनजुही की लता से काफी लगाव था।  इसलिए उसके मरणोपरांत लेखिका ने उसी सोनजुही की लता के नीचे  उसे दफना दिया।  उनका यह मानना था कि  गिल्लू सोनजुही की पीली कली  के रूप में फिर से जन्म लेगा।



Seetha Lakshmi R. Srinivasan. :-))

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